
” शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी के त्याग- बलिदान की अनसुनी के खिलाफ 14 मई से आन्दोलन_ प्रो विजय कुमार मिट्ठू ”
सेंट्रल एसेंबली बम कांड में भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव की फांसी की सजा में बिहार राज्य के बेतिया निवासी फणीनद्र नाथ घोष के इकबालिया गवाह के रूप में दिए गए बयान के कारण होने से विचलित बैकुंठ शुक्ल ने अँग्रेजी हुकूमत को चैलेंज कर फणीनद्र नाथ घोष को मौत के नींद सुला दिए थे।
फणीनद्र नाथ घोष की हत्या के बाद वैकुण्ठ शुक्ल को अँग्रेजी हुकूमत ने सोनपुर के गंडक पुल पर 06 जुलाई 1933 को गिरफ्तार कर गया केन्द्रीय कारा में बंद कर दिया था, तथा 14 मई 1934 को इन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था।
शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल की पत्नी राधिका देवी 24 वर्ष की उम्र में बलिवेदी पर अपना सुहाग न्यौछावर कर, अपने पति के साथ कंधा से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ी। सन 1931 में मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान में बैकुण्ठ शुक्ल एवं राधिका देवी दोनों पति-पत्नी ब्रिटिश हुकूमत को धता बताते हुए तिरंगा झंडा फहराने का काम किए थे, जिसके बाद दोनों की गिरफ्तारी हुई थी।
बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू , पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, रंजीत वाणभट्ट , लालजी प्रसाद, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, विशाल कुमार, मोहम्मद समद, प्रद्युम्न दुबे, दामोदर गोस्वामी, विनोद उपाध्याय, आदि ने कहा कि बिहार सरकार की उदासीनता के कारण वर्षो से संघर्ष एवं मांग के बाद भी गया केन्द्रीय कारा का नामकरण अभी तक बैकुण्ठ शुक्ल केन्द्रीय कारा नहीं किया गया ना ही शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल तथा वीरांगना राधिका देवी की आदम कद प्रतिमा गया के शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल पार्क में स्थापित किया गया, जिससे बिहार वासियों में भयानक मायूसी एवं आक्रोश है।
नेताओं ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठन, छात्र- नौजवान, किसान- मजदूर के लगातार मांग के बाद भी शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी के देश के लिए किए गए त्याग, बलिदान को बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे अनसुनी के खिलाफ दिनाँक 14 मई 2024 से इनके शहादत दिवस के अवसर पर सभी लोग एकजुट होकर आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया जाएगा।
भवदीय
विजय कुमार मिट्ठू” शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी के त्याग- बलिदान की अनसुनी के खिलाफ 14 मई से आन्दोलन_ प्रो विजय कुमार मिट्ठू ”
सेंट्रल एसेंबली बम कांड में भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव की फांसी की सजा में बिहार राज्य के बेतिया निवासी फणीनद्र नाथ घोष के इकबालिया गवाह के रूप में दिए गए बयान के कारण होने से विचलित बैकुंठ शुक्ल ने अँग्रेजी हुकूमत को चैलेंज कर फणीनद्र नाथ घोष को मौत के नींद सुला दिए थे।
फणीनद्र नाथ घोष की हत्या के बाद वैकुण्ठ शुक्ल को अँग्रेजी हुकूमत ने सोनपुर के गंडक पुल पर 06 जुलाई 1933 को गिरफ्तार कर गया केन्द्रीय कारा में बंद कर दिया था, तथा 14 मई 1934 को इन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था।
शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल की पत्नी राधिका देवी 24 वर्ष की उम्र में बलिवेदी पर अपना सुहाग न्यौछावर कर, अपने पति के साथ कंधा से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ी। सन 1931 में मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान में बैकुण्ठ शुक्ल एवं राधिका देवी दोनों पति-पत्नी ब्रिटिश हुकूमत को धता बताते हुए तिरंगा झंडा फहराने का काम किए थे, जिसके बाद दोनों की गिरफ्तारी हुई थी।
बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रो विजय कुमार मिट्ठू , पूर्व विधायक मोहम्मद खान अली, रंजीत वाणभट्ट , लालजी प्रसाद, विपिन बिहारी सिन्हा, कुंदन कुमार, विशाल कुमार, मोहम्मद समद, प्रद्युम्न दुबे, दामोदर गोस्वामी, विनोद उपाध्याय, आदि ने कहा कि बिहार सरकार की उदासीनता के कारण वर्षो से संघर्ष एवं मांग के बाद भी गया केन्द्रीय कारा का नामकरण अभी तक बैकुण्ठ शुक्ल केन्द्रीय कारा नहीं किया गया ना ही शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल तथा वीरांगना राधिका देवी की आदम कद प्रतिमा गया के शाहिद बैकुण्ठ शुक्ल पार्क में स्थापित किया गया, जिससे बिहार वासियों में भयानक मायूसी एवं आक्रोश है।
नेताओं ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठन, छात्र- नौजवान, किसान- मजदूर के लगातार मांग के बाद भी शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी के देश के लिए किए गए त्याग, बलिदान को बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे अनसुनी के खिलाफ दिनाँक 14 मई 2024 से इनके शहादत दिवस के अवसर पर सभी लोग एकजुट होकर आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया जाएगा।
भवदीय
विजय कुमार मिट्ठू
त्रिलोकी नाथ डिस्ट्रिक्ट डिवीजन हेड गया
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